News Desk : शराब घोटाला मामले में योगेंद्र तिवारी आज शनिवार दोपहर ईडी के रांची जोनल ऑफिस पहुंचे. इसके बाद ईडी के अधिकारियों ने योगेंद्र तिवारी से पूछताछ शुरू कर दी. योगेंद्र तिवारी अपने साथ तीन बैग लेकर पहुंचे.
23 अगस्त को ईडी ने 32 ठिकानों पर छापेमारी की थी
वे चेहरा ढंक कर ईडी कार्यालय आये. बता दें कि 23 अगस्त को ईडी ने शराब घोटाला मामले में योगेंद्र तिवारी सहित कई अन्य लोगों के कुल 32 ठिकानों पर छापेमारी की थी.
क्या है झारखंड में शराब घोटाला का मामला
छ्त्तीसगढ़ शराब कंसलटेंट, सप्लायर्स और झारखंड के उत्पाद विभाग ने झारखंड के सरकारी राजस्व को 450 करोड़ रुपए से अधिक का उत्पाद राजस्व का घाटा कराया है. झारखंड में नयी शराब नीति के सलाहकार अरुणपति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का सरगना बताये जाते हैं. उस पर आरोप है कि वह केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ की राज्य की सहमति के बिना ही झारखंड में सलाहकार बने थे.
अरुणपति त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ में कई गंभीर आरोप लगे हैं
नियमानुसार झारखंड में सलाहकार बनने के लिए त्रिपाठी अपने मूल विभाग व छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना आवश्यक था. उन पर छत्तीसगढ़ में कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें एक फर्जी कंपनी बनाकर छत्तीसगढ़ में होलोग्राम छापने का आरोप भी है. जिन तीन कंपनियों के नाम शराब घोटाला केस (छत्तीसगढ़) में सामने आ रहे हैं, झारखंड की शराब नीति में उनका सीधा हस्तक्षेप बताया जाता है.
सूत्रों के मुताबिक, योगेंद्र तिवारी ने साल 2021-22 में शराब के थोक कारोबार का ठेका हासिल किया था. राज्य के 19 जिलों में योगेंद्र से जुड़े लोग ही शराब के थोक व्यापार में शामिल थे. ईडी को जानकारी मिली है कि प्रेम प्रकाश की मिलीभगत से योगेंद्र ने 2021 में शराब के थोक कारोबार का ठेका हासिल किया था. इसके लिए शेल कंपनियां बनाई गईं थीं. इन कंपनियों के पास पहले कोई कैपिटल नहीं था, लेकिन ठेका हासिल करने के लिए उन कंपनियों के खाते में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे. ईडी ने अवैध खनन केस में जब पहली बार प्रेम प्रकाश के यहां छापेमारी की थी, तब उसके यहां से शराब कारोबार से जुड़े साक्ष्य मिले थे.