News Desk : संसद की एक समिति ने भारतीय न्याय प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले तीन विधेयकों…न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पर विचार करने के लिए आज गुरुवार को बैठक की.
मॉबलिचिंग के लिए सात साल की सजा या आजीवन कारावास
इन विधेयकों में प्रस्तावित नये कानूनों में मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या) के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गयी है. इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला का इन तीन विधेयकों पर संसद की गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति के सामने एक प्रस्तुति देने का कार्यक्रम है.
स्थायी समिति की बैठक 24, 25 और 26 अगस्त को निर्धारित है
राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के अनुसार इन विधेयकों पर गृह मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक 24, 25 और 26 अगस्त को निर्धारित है. इसमें कहा गया है कि गृह सचिव (अजय भल्ला) द्वारा न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 के संबंध में प्रस्तुति दी जायेगी. भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोकसभा में इन तीनों विधेयकों को पेश किया था.
विधेयक संसदीय समिति को भेजने के प्रस्ताव पर सदन की मुहर
सदन ने गृह मंत्री के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके. बाद में लोकसभा के संसदीय मामलों संबंधी बुलेटिन में कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता 2023, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को आगे विचार विमर्श एवं अध्ययन के लिए गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया है.
बुलेटिन में कहा गया है कि समिति को तीन महीने में रिपोर्ट देनी है. ऐसे में समिति के पास विधेयकों की पड़ताल करने और शीतकालीन सत्र में संसद को रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का समय है.