पिछले साल, SC ने PMLA के प्रावधानों को बरकरार रखा था. कानून अधिकारियों का तर्क है कि 3-न्यायाधीशों की पीठ समान पीठ के फैसले पर दोबारा विचार नहीं कर सकती. मामले की सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को उन याचिकाओं का विरोध किया, जो शीर्ष अदालत के जुलाई 2022 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करती हैं, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कड़े प्रावधानों को बरकरार रखा गया था — एक कानून जो एजेंसी को व्यापक जांच शक्तियां देता है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने केंद्र सरकार और जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध इन याचिकाओं की स्थिरता पर सवाल उठाया, उन्हें “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार दिया और सुप्रीम कोर्ट से “सतर्क” और “चिंतित” रहने का आग्रह किया.
अदालत कुछ मापदंडों पर अपने 27 जुलाई, 2022 के तीन-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
27 जुलाई, 2022 को विजय मदनलाल चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और संपत्ति की कुर्की की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा. ज़ूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विजय मदनलाल चौधरी को 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
याचिकाओं का विरोध करने के लिए मेहता और राजू ने जो तर्क दिए, वे दोतरफा थे.