36 फीसदी अतिपिछड़ा की आबादी, पर विधानसभा में प्रतिनिधित्व केवल पांच फीसदी- सरकार जवाब दे कि जातीय सर्वेक्षण में 100 करोड़ रुपये कहां खर्च हुए.
महुआ, वैशाली। जातीय सर्वेक्षण के अनुसार अतिपिछड़ा की आबादी 36 फीसदी से ज्यादा है, पर विधानसभा में आरक्षण महज 5 फीसदी है। ऐसे में सरकार की सामाजिक न्याय की बातें झूठी साबित होती है। यदि सर्वेक्षण के आंकड़ें सही हैं, तो समरूपता लाने और अतिपिछड़ा समूदाय को उनका हक देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आबादी के अनुसार अतिपिछड़ा श्रेणी को आरक्षण देना चाहिए। ये कहना है राजद से एमएलसी सह अतिपिछड़ा आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा के संयोजक प्रो(डॉ.) रामबली सिंह चंद्रवंशी का। वे समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम से पटना तक मोर्चा के बैनर तले पदयात्रा पर निकले हुए हैं। उन्होंने बताया कि पदयात्रा का मूल उद्देश्य पांच सूत्री मांगों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना है। उनकी पदयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं।
उन्होंने नीतीश सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया तथा कहा कि नीतीश सरकार ने अतिपिछड़ा वर्ग की मूल श्रेणी में तेली, तमोली(चौरसिया) व दांगी(कोयरी) जातियों को डाल दिया, जिससे इस श्रेणी की करीब 110 जातियों की हकमारी हो रही है और ज्यादातर लाभ ये समृद्ध जातियां ले रही हैं। ये कुछ ऐसा ही है, जैसे बकरी के बाड़ में किसी शेर, बाघ या चीता को रख दिया जाए। जिससे बकरियों का अस्तित्व की खतरे में आ जाए।उन्होंने सरकार द्वारा किये गए जातिगत सर्वे पर भी सवाल उठाये। कहा कि इसका बजट पहले 500 करोड़ का रखा गया था। बाद में इसमें से सर्वे में 100 करोड़ रुपये खर्च किये गए। जब यह सर्वे आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं और अन्य नियोजित सरकारी कर्मियों द्वारा कराया गया, तो फिर 100 करोड़ रुपये कहां खर्च हो गए। इसका हिसाब भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इस सरकार में सरकारी अफसरों का बोलबाला है, जनता के पैसों का बंदरबाट हो रहा है।
संभ्रांत जातियों को मूल अतिपिछड़ा श्रेणी अलग करे सरकार:उन्होंने कहा कि हमारी पांच मांगों में तेली, तमोली(चौरसिया) व दांगी(कोयरी) को मूल अतिपिछड़ा श्रेणी से अलग करना है, क्योंकि इन जातियों ने मूल अतिपिछड़ा की श्रेणी के आरक्षण पर 70 से 100 फीसदी तक कब्जा कर रखा है। अतिपिछड़ा पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए एससीएसटी की तर्ज पर अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण कानून बने, पंचायत और निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 33 फीसदी किया जाए, रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, जिसमें 95 फीसदी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलने की बात कही गई है। इसके अलावा मोर्चा की ओर से जननायक कर्पूरी ठाकुर, अब्दुल क्यूम अंसारी एवं पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को मरनोपरांत भारतरत्न से सम्मानित करने की मांग की गई।यह पदयात्रा बुधवार की सुबह महुआ प्रखंड के गाड़ा मंदिर से चली और दोपहर में कुशहर चौक पहुंची। वहां अतिपिछड़ा श्रेणी की जाति के लोगों से उनकी हकमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया गया तथा सात अक्टूबर को पटना के मिलर हाई स्कूल में होने वाले विशाल सम्मेलन में भाग लेने की अपील की गई।शाम में पदयात्रा कर रहे सदस्य महुआ प्रखंड मुख्यालय के गांधी चौक पहुंचे। वहां स्वतंत्रता सेनानी महेश साह पर अजय कुमार द्वारा लिखी गई पुस्तक का विमोचन मोर्चा के सदस्यों और स्थानीय व्यापारी संघ के अध्यक्ष अमर गुप्ता और प्रो डॉ रामबली सिंह चंद्रवंशी ने किया। पदयात्रा गुरुवार को राजापाकर प्रखंड के फुलवरिया से शुरू होगी और शाम तक हाजीपुर के सुभई चौक पहुंचेगी।मोर्चा के संयोजक मंडल के सदस्यों में हुमायुं अंसारी, महेंद्र भारती, संजय तांती, सुरेश सिंह निषाद, श्रवण चंद्रवंशी, अजय कानू, हिसामुद्दीन अंसारी, ई. आशीष नारायण, नीतू निषाद, बबीता चंद्रवंशी, ज्योति निषाद, नीलू निषाद, सरिता वर्मा, अंजली वर्मा, बंदना देवी, पूनम देवी, हेमा देवी आदि शामिल हैं।