News Desk — बिहार में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। कई जिलों में प्रशासन अलर्ट पर है। बिहार के कई जिले अभी मानसून की बारिश की चपेट में हैं। इन सबके बीच नदियां उफान पर हैं। सबसे ज्यादा खतरा बिहार के कोसी क्षेत्र में है। सोमवार की सुबह नेपाल में कोसी डैम के 56 गेट खोले गए हैं। जिससे 34 सालों बाद सबसे ज्यादा 4 लाख 52 हजार 710 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। इससे सुपौल के 120 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। मधुबनी और बगहा में हालात बिगड़े हैं। प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन ने पूरे उत्तर बिहार के लिए टॉल फ्री नंबर 1800-3456-145 जारी किया है। सुपौल डीएम ने जिले के सभी मुखिया को फोन कर अलर्ट कर दिया है। तटबंध के भीतर बसे लोगों को इलाका खाली करने का निर्देश दिया गया है।

नेपाल में बारिश की वजह से कोसी बैराज से पानी छोड़ा गया
इससे पहले भी विभिन्न चरणों में नेपाल और तराई वाले हिस्सों में हुई बारिश की वजह से कोसी बैराज से पानी छोड़ा गया था। मगर वर्तमान समय में छोड़ा गया पानी बिहार को बाढ़ की चपेट में ले जाने के लिए काफी है। बता दें कि 1968 में 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक, 1989 में 5 लाख 23 हजार 771 क्यूसेक के बाद अब 2023 में सबसे ज्यादा पानी छोड़ा गया है। नेपाल के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश की वजह से नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। कोसी तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुपौल के 120 गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बिहार में बाढ़ को लेकर अलर्ट जारी किया है। इंजीनियर्स और जल संसाधन विभाग के साथ प्रशासन की टीम को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं।इधर, बगहा में वाल्मीकि नगर बराज के भी 36 गेट खोले गए हैं। आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। मधुबनी में भी कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कोसी का पानी आसपास के इलाकों में घुसना शुरू हो चुका है।
सुपौल के 120 गांवों में घुसा कोसी का पानी
नेपाल में कोसी डैम के 56 गेट खोले गए हैं। बता दें कि 1968 में 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक, 1989 में 5 लाख 23 हजार 771 क्यूसेक के बाद अब 2023 में सबसे ज्यादा पानी छोड़ा गया है।सुपौल के 120 गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। नेपाल के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश की वजह से नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। कोसी तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.बगहा में भी डैम के 36 गेट खोले गए.कोसी में पानी बढ़ने के बाद बगहा के वाल्मीकि नगर बराज का जलस्तर भी तेज से बढ़ा है। डैम के 36 गेट खोले गए हैं। जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। जल संसाधन विभाग की टीम लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है।
पटना में घटने लगा गंगा का जलस्तर, दोपहर बाद बारिश
पटना में गंगा का जलस्तर घटने लगा है। पिछले 24 घंटे में दीघा घाट पर 13 सेमी और गांधी घाट पर 11 सेमी घटा है। रविवार की दोपहर 2:00 बजे दीघा घाट पर जलस्तर 49.40 मीटर और गांधी घाट पर 48.38 मीटर पर आ गया।वहीं शनिवार को दीघा घाट पर 49.53 मीटर और गांधी घाट पर 48.49 मीटर पर आ गया। दीघा घाट पर खतरे का निशान 50.45 मीटर और गांधी घाट पर 48.60 मीटर है। हाथीदह के जलस्तर में भी 5 मीटर की गिरावट दर्ज की गई है। शनिवार की दोपहर 2 बजे हाथीदह में जलस्तर 41.81 मीटर जो की रविवार को 41.75 मीटर दर्ज किया गया है। जबकि खतरे का निशान हाथीदह में 41.76 मीटर है।
मधुबनी में भी बाढ़ का खतरा
नेपाल के कोसी डैम का पानी छोड़ने के बाद मधुबनी में अलर्ट जारी किया गया है। कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से 5-6 घंटे में जिले के मधेपुर प्रखंड के गढ़गांव, बसिपट्टी, द्वालख, महपतिया, डाढ़ा, बकुआ, भेजा, रहुआ संग्राम पंचायतों में बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है।
बाढ़ को लेकर सरकार अलर्ट है
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों और जल संसाधन विभाग के इंजीनियर्स को अलर्ट कर दिया है। सहरसा,सुपौल समेत अन्य जिलों में अभी तक तटबंध सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि 34 साल बाद इतना पानी एक बार फिर छोड़ा गया है। 1989 में इतना पानी छोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि रात 2 बजे कोसी बराज से पानी रिलीज किया गया है। पानी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज शाम तक खगड़िया पहुंच जाएगा। जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि कोसी तटबंध के अंदर भी लोग रहते हैं उन्हें सुरक्षित रहने के लिए कहा गया है। सरकार हर तरह के इंतजाम कर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा।उन्होंने बताया कि हर कदम पर हमारे इंजीनियर और जल संसाधन विभाग के अधिकारी खड़े हैं। उन्होंने दावा किया कि 2008-9 वाले स्थिति नहीं होगी। हालांकि उस समय 1 लाख 7 2 हजार क्यूसेक पानी बराज से छोड़ा गया था। जबकि इस बार 4 लाख से अधिक पानी रिलीज किया गया।