बात 13 नंबवर 1989 की है. सुबह – सुबह पश्चिम बंगाल के रानीगंज की महाबीर कोयला खदान में 65 मज़दूरों के फँसने की ख़बर आई. साल 1991 में जसवंत सिंह गिल को इसी जाबांजी के लिए राष्ट्रपति की ओर से सर्वोत्तम जीवन रक्षा पुरस्कार से नवाजा गया था.

खदान में पानी भर रहा था. छह मज़दूरों की मौत हो चुकी थी. अलग-अलग तरीकों से मज़दूरों तक पहुँचने की कोशिश सफल नहीं हो रही थी. चारों ओर अफ़रा-तफ़री का माहौल था.
ऐसे हालात में कोल इंडिया में काम करने वाले एक शख़्स ने एक ऐसी तरकीब का इस्तेमाल करके 65 मजदूरों की जान बचाई गई जिसका पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था.
इसी बचाव अभियान पर निर्देशक टीनू देसाई ने मिशन रानीगंज – द ग्रेट भारत रेस्क्यू फ़िल्म बनाई है जिसमें जसवंत सिंह गिल का किरदार अक्षय कुमार निभा रहे हैं. वहीं, फ़िल्म की हीरोइन परिणिति हैं.
‘कैप्सूल गिल’ का वो रिस्की मिशन
अपने पिता के इस ख़तरनाक मिशन को बयां करते हुए सरप्रीत सिंह गिल बताते हैं कि जसवंत सिंह गिल ने इस बचाव अभियान को अंजाम देने से पहले अपने वरिष्ठ अधिकारी को चौंका दिया था.
वह कहते हैं, “जसवंत जी, अपने चेयरमैन के पास गए और पूछा कि जो आदमी नीचे खदान में बचाव अभियान के लिए जाएगा उसे शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से फिट होना चाहिए? क्या उसे भीड़ को संभालना आना चाहिए? खदान की समझ होनी चाहिए? चेयरमैन हाँ हाँ बोलते रहे.
“चेयरमैन की हामी के बाद जैसे ही जसवंत सिंह ने कहा कि ये सारी खूबियां मेरे अंदर हैं और मैं मिशन के लिए जा रहा हूं तो चेयरमैन पूरी तरह चौंक गए.
उन्होंने ये कहते हुए जसवंत सिंह को रोकने की कोशिश की कि वो इतने सीनियर अफ़सर को जोखिम में डालने की अनुमति नहीं दे सकते.लेकिन जसवंत सिंह ने कोई बात नहीं सुनी और कहा कि ‘सुबह लौटकर आपके साथ चाय पिऊंगा.’