लखनऊ: कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल से रिहा होंगे। कारागार विभाग ने दोनों की रिहाई का आदेश जारी कर दिया है। उम्रकैद की सजा काट रहे अमरमणि और मधुमणि 16 साल से अधिक समय से जेल में हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत उनकी रिहाई का आदेश जारी कर दिया गया है।
कारागार विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अगर अमरमणि या मधुमणि को किसी अन्य वाद में जेल में निरुद्ध रखना जरूरी न हो, तो जिला मैजिस्ट्रेट, गोरखपुर के विवेक के अनुसार दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक मुचलका भरवाकर दोनों को जेल से रिहा कर दिया जाए। यह आदेश अमरमणि द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर पारित आदेश के अनुपालन में जारी किया गया है। दरअसल, अमरमणि ने अपनी समयपूर्व रिहाई के लिए याचिका दायर की थी। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को आदेश पारित किया था।
आदेश का पालन न होने पर अमरमणि ने अवमानना वाद दायर किया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को आदेश जारी किया। याचिका में कहा गया था कि बंदी की आयु 66 वर्ष होने और 22 नवंबर 2022 तक 17 साल नौ महीने चार दिन की अपरिहार सजा और 20 साल एक महीने 19 दिन की सपरिहार सजा भोगी गई है। अच्छे आचरण को देखते हुए शेष सजा माफ कर दी जाए। मधुमणि भी 16 साल से अधिक समय से जेल में हैं।
लंबे समय से अस्पताल में हैं दोनों
अमरमणि और मधुमणि कई साल से जेल की जगह अस्पताल में हैं। कभी उनका गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में तो कभी लखनऊ स्थित केजीएमयू में अपना इलाज चलता रहा। इसे लेकर मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने कई बार शिकायतें कीं।
सजा काट रहे बंदियों की पूर्व रिहाई के लिए योगी सरकार ने बनाई नीति
आजीवन कारावास में जेल बंद आरोपियों को समय पूर्व रिहा करने के लिए राज्य सरकार ने स्थायी नीति तैयार कर ली। यह नीति हाईकोर्ट के निर्देश पर बनाई गई है। इसके लिए अदालत के आदेश पर एक समिति का गठन किया गया था। पहले बंदियों को रिहा करने को लेकर कोई तय नीति नहीं थी। जेल प्रशासन गणतंत्र दिवस पर बंदियों को उनकी आयु, आचरण और उनके द्वारा काटी गई सजा की अवधि (न्यूनतम 14 वर्ष) के आधार पर उन्हें रिहा करता था।
नई स्थायी नीति में सिद्धदोष बंदियों की रिहाई की योग्यता का जो वर्गीकरण किया गया है, उनमें महिला बंदियों के लिए जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 14 वर्ष की अपरिहार अथवा 16 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो, को शामिल किया गया है। इसके अलावा ऐसे सिद्धदोष पुरुष बंदी, जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 16 वर्ष की अपरिहार व 20 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो, 12 तरह की चिह्नित गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे सिद्धदोष बंदियों जिन्होंने 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो, उन्हें समय से पहले रिहा किया जा सकेगा।
आजीवन कारावास से दंडित ऐसे सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 70 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो व 12 वर्ष की अपरिहार और 14 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो, ऐसे सिद्धदोष बंदी जिन्होंने 80 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और विचाराधीन अवधि सहित 10 वर्ष की अपरिहार व 12 वर्ष की सपरिहार सजा काट ली हो और ऐसे सिद्धदोष बंदी जिन्होंने विचाराधीन अवधि सहित 20 वर्ष की अपरिहार तथा 25 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी कर ली हो को रिहाई के लिए पात्र माना गया है।