LUCKNOW: 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यूपी के सियासी गलियारों में एक नई चर्चा सामने आई है. जदयू के प्रदेश इकाई ने नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. यही नहीं नीतीश के लिए 3 सीटें भी चिन्हित की गई है. इन 3 सीटों में फतेहपुर फूलपुर और अंबेडकरनगर हो सकता है.
फूलपुर में सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर
यूपी का संगठन चाहता है कि नीतीश कुमार यहां से चुनाव लड़ेंगे तो एक बड़ा संदेश जाएगा और पार्टी के साथ विपक्षी गठबंधन को भी मजबूती मिलेगी. जेडीयू के कुछ पदाधिकारी नीतीश कुमार को फूलपुर से चुनाव लड़ाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि फूलपुर सीट के जातीय समीकरण को देखिए तो यहां सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर है. ऐसे में नीतीश कुमार कुर्मी वोटरों के सहारे चुनाव लड़ने की रणनीति बना सकते हैं. फूलपुर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन बाद में सपा और बसपा के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट छीन ली थी.
विपक्षी दलों की गोलबंदी की कवायद तेज
पिछले साल भी राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर थी कि अपनी जीत पक्की करने के लिए नितीश कुमार कुर्मी वोटरों की बहुतायत वाली फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि नीतीश कुमार ने उस समय उसे नकार दिया था. माना गया था कि तब समाजवादी पार्टी व कांग्रेस की तरफ से कोई ख़ास रिस्पॉस नहीं दिए जाने की वजह से नीतीश जी ने फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.अब विपक्षी दलों की गोलबंदी की कवायद के बीच एक बार फिर से ये चर्चा तेज हो गई है.
क्या है इतिहास
फूलपुर की ऐतिहासिक सीट ने जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू और वीपी सिंह को लेकसभा भेजकर देश को दो दो प्रधानमंत्री दिए. वहीं कई बड़े राजनीतिक चेहरों को तवज्जों तक नहीं दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र, समाजवाद के अगुआ डॉ राम मनोहर लोहिया, क्रिकेटर मोहम्मद कैफ, कांशीराम, जैसे कई बड़े नाम हैं जिल्हें फूलपुर के मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया. फूलपुर का चुनावी इतिहास बताता हे कि यहां की जनता बाहरी उम्मीदवारों को तरजीह नहीं देती.
पं जवाहरलाल नेहरू की सीट रही है फूलपुर
चर्चित संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने पं. जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव फूलपुर सीट से अपने गोरक्षा आन्दोलन के भरोसे जीत पक्की करनी चाहिए, लेकिन जनता ने उन्हें पंडित नेहरू के सामने बौना साबित कर दिया. ब्रह्मचारी को महज 56 हजार 718 वोट ही मिले थे. पंडित जवाहर लाल नेहरू यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. वे 2,33,571 वोट पाकर न सिर्फ सांसद चुने गए, बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री भी बने.