LUCKNOW: लखनऊ के रमादा में 16 जुलाई को फिल्मफेयर एवं फेमिना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘ भोजपुरी आइकॉन्स- रील एंड रीयल स्टार्स ‘ समारोह में भोजपुरी के जाने-माने लेखक, फिल्म समीक्षक और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम हैं, जब दो प्रतिष्ठित ब्रांड फिल्मफेयर और फेमिना पहली बार भोजपुरी आइकॉन का सम्मान करने के लिए एकजुट हुए। इस अवसर पर पद्मभूषण शारदा सिन्हा को लोक संगीत के लिए, संजय मिश्रा को प्राइड ऑफ भोजपुरी मिट्टी, मनोज तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और रवि किशन को ओटीटी और सिनेमा के लिए सम्मानित किया गया। फेमिना की प्रधान संपादक अंबिका मट्टू व दक्षिण के निर्देशक विक्रम वासुदेव द्वारा संयुक्त रूप से इन विभूतियों को सम्मान प्रदान किया गया।
1998 से लिख रहे हैं भोजपुरी सिनेमा का इतिहास
तस्वीर जिदंगी के (भोजपुरी गजल संग्रह) व चलनी में पानी (भोजपुरी कविता-संग्रह) मनोज भावुक की चर्चित पुस्तकें हैं। मनोज भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर पिछले 25 वर्षों से लिख रहें हैं। वर्ष 2000 में ही भोजपुरी सिनेमा के प्राचीन इतिहास (1962-2000) पर किताब लिख ली थी। इनेक लेख धारावाहिक रूप में कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। कई लोगों ने सिनेमा पर किये अपने शोध व पीएचडी में मनोज भावुक के रिसर्च को ही आधार बनाया है। पेंग्विन से भोजपुरी सिनेमा पर छपी अभिजीत घोष की अंग्रेजी किताब में भी भावुक के तमाम सिनेमा-लेखों व शोध-पत्रों का जिक्र है। ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ नाम की साढ़े चार सौ पृष्ठों की यह किताब पिछले साढ़े तीन साल से भोजपुरी-मैथिली अकादमी, दिल्ली के पास प्रकाशनाधीन है। इसमें मनोज ने 1931 से लेकर 2019 तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर पर बात की है।
मनोज भावुक ने फिल्मों में अभिनय भी किया है

सौगंध गंगा मईया के और रखवाला नामक फिल्म में मनोज भावुक ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। इसके अलावा बहुत सारे टीवी सीरियल और डॉक्यूमेंटरीज में भी काम किया है। मनोज बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय, पटना के टॉपर रहे हैं। मेंहदी लगा के रखना नामक एक फिल्म में मनोज का गीत खूब वाइरल हुआ – अँचरा छोड़ा के चल काहे दिहले एतना दूर ए माई ‘। मनोज ने भोजपुरी के लगभग सभी चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है और विविध विषयों कार्यक्रम बनायें हैं।
सपना हुआ साकार
मनोज भावुक कहते हैं कि भोजपुरी इंडस्ट्री फ़िल्म फेयर और फेमिना तक पहुँच गई। यही आपने आप में बड़ी उपलब्धि है. फिल्मफेयर एवं फेमिना द्वारा सम्मान मिलना बड़ी बात है। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूँ। भोजपुरी साहित्य और सिनेमा, खासकर इतिहास लेखन के लिए पहली बार किसी फिल्म अवार्ड शो में मुझे सम्मानित किया गया है. मनोज ने इस सम्मान को भोजपुरी भाषा व भोजपुरी भाषियों को समर्पित किया है।